| 1. | -कीकर या बबूल का गोंद पौष्टिक होता है.
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| 2. | -ये है बबूल का गोंद अर्थात खाने वाला गोंद.
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| 3. | बबूल का गोंद, लौंग के दोषों को दूर करने में मददगार है।
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| 4. | रंगों को पक्का करने के लिए बबूल का गोंद मिलाया जाता है।
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| 5. | 100 ग्राम बबूल का गोंद कड़ाही में भूनकर चूर्ण बनाकर रख लेते हैं।
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| 6. | (16) बबूल का गोंद 10 ग्राम एक कप पानी में रात को डालकर रख दें।
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| 7. | रक्त प्रदर: बबूल का गोंद घी में तल कर फूले निकाल लें और पीस लें।
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| 8. | बबूल का गोंद आधा किलो शुद्ध घी में तल कर फूले निकाल लें और ठण्डे करके
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| 9. | रक्त प्रदर: बबूल का गोंद घी में तल कर फूले निकाल लें और पीस लें।
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| 10. | कहरवा समई, गेरु और बबूल का गोंद 10-10 ग्राम की मात्रा में लेकर कूट कर चूर्ण बनायें।
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